….. जी हां, पत्रकार ऐसा भी होता है जो सवाल कम करे, समझे जरा ज्यादा ….. ….. लगभग ४७ साल के उनके कामकाजी जीवन में अनुपम मिश्र का बहुत कहीं आना–जाना हुआ। इस पूरी अवधि में वे नई दिल्ली के… Read More ›
Language
बोलती-चालती हिंसा
सोपान जोशी [ यह लेख ‘गांधी मार्ग’ पत्रिका के जनवरी-फरवरी 2014 अंक में छपा है ] क्या आप बोली में बोलते हैं या भाषा में? दोनों अपनी होंगी पर ऐसा माना जाता है कि बोली जरा… Read More ›
How Do You Speak Your Freedom?
An enormous and radical survey has given us more understanding of the languages spoken in India than ever before. This Independence Day, do our languages need protection or a push to be more seductive? By Sopan Joshi | Grist Media… Read More ›
साध्य, साधन और साधना
अगर साध्य ऊंचा हो और उसके पीछे साधना हो, तो सब साधन जुट सकते हैं अनुपम मिश्र यह शीर्षक न तो अलंकार के लिए है, न अहंकार के लिए। सचमुच ऐसा लगता है कि समाज में काम कर रही छोटी–बड़ी… Read More ›
भाषा और पर्यावरण
हमारी भाषा नीरस हो रही है क्योंकि हमारा माथा बदल रहा है। पर्यावरण की भाषा भी बची नहीं है। वह हिंदी भी है यह कहते हुए डर लगता है। पिछले ५०–६० बरस में नए शब्दों की एक पूरी बारात आई… Read More ›