सोपान जोशी [ यह लेख ‘गांधी मार्ग’ पत्रिका के जनवरी-फरवरी 2014 अंक में छपा है ] क्या आप बोली में बोलते हैं या भाषा में? दोनों अपनी होंगी पर ऐसा माना जाता है कि बोली जरा… Read More ›
हिंदी विभाग
भाषा और पर्यावरण
हमारी भाषा नीरस हो रही है क्योंकि हमारा माथा बदल रहा है। पर्यावरण की भाषा भी बची नहीं है। वह हिंदी भी है यह कहते हुए डर लगता है। पिछले ५०–६० बरस में नए शब्दों की एक पूरी बारात आई… Read More ›