सोपान जोशी [ इस लेख का संपादित रूप ‘तहलका’ के मई 18 के अंक में छपा है ] इतने लिखने वाले कभी नहीं रहे जितने आज हैं। पढ़ने की सामग्री भी इतनी कभी नहीं रही। छापना-छपाना तो लिखने से भी… Read More ›
सोपान जोशी [ इस लेख का संपादित रूप ‘तहलका’ के मई 18 के अंक में छपा है ] इतने लिखने वाले कभी नहीं रहे जितने आज हैं। पढ़ने की सामग्री भी इतनी कभी नहीं रही। छापना-छपाना तो लिखने से भी… Read More ›